अकसर संसार में अमीरी को पूर्व जन्मों के कर्म या भाग्य से जोड़ कर देखा जाता है पर इस पुस्तक में बताया गया है कि किस प्रकार भाग्य की अवधारणा व्यर्थ है और ईशवर या दिव्यता हमेशा समृद्धि व् प्रचुरता का विस्तार करते हैं , वे आपके अभाव के जिम्मेदार नहीं। यह पुस्तक अमीर बनने के वैज्ञानिक नियमों को प्रभावशाली ढंग से समझाने में सफल है और कोई भी इन नियमों का पालन कर अपने जीवन को समृद्ध बना सकता है।वैलेस डी वेटल्स द्वारा 1910 में लिखी यह क्रांतिकारी पुस्तक मनुष्यता के लिए एक शानदार उपहार है। दुनिया में भर में उपलब्ध लाखों प्रेरणादायी पुस्तकों में यह महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
यह पुस्तक अमीर बनने के नियमों की व्याख्या है , लेखक ने इसमें विस्तार से बताया है कि अमीर बनने के कुछ आधारभूत नियम हैं , जो हर किसी को समान अवसर देते हैं , कोई भी इन नियमों का पालन कर अमीर बन सकता है। अमीर बनने का यह विज्ञानं भी रसायन विज्ञानं या गणित जितना ही सटीक होता है , इसके कुछ निश्चित नियम हैं और जो कोई भी जाने अनजाने इन नियमों का पालन करता है , वो अमीर बन ही जाता है। हर इंसान के पास इन नियमों के अनुसार काम करने या इनको नजर अंदाज करने का विकल्प होता है , इसलिए जो भी अमीरी लाने वाले कारण पैदा करना सीख लेता है वह अपने आप अमीर बन जाएगा , चाहे वह कोई भी हो।
यह पुस्तक जीवन व् इस सृष्टि के नियम – निरंतर विकास व् विस्तार पर चर्चा करती है कि किस प्रकार अस्तित्व निरंतर वृद्धि कर रहा है ,और किस प्रकार यह नियम आपको अमीर बनाने में सहायक होता है। और अमीर बनने के लिए किस प्रकार हमारे मन में विचार अपनी भूमिका निभाते हैं व् किस प्रकार विशेष तरीके से विचार एक नियम का रूप लेता है और आपको अमीर बना सकता है। किस प्रकार कृतज्ञता का भाव भी अमीर बनने का एक नियम है और हमारी अमीर बनने की इच्छा की स्पष्ट परिकल्पना व् हमारा अपने वर्तमान काम को एक विशेष ढंग से सम्पन्न करना हमें धनी बना सकता है ,इसको स्पष्ट रूप से समझाया गया है।